National anthem। राष्ट्रगान

*क्या आपको भी लगता है कि हमारा National Anthem ( राष्ट्रगान ) गुलामी का गान है ?*


जन गण मन पे विवादों के सुर कई बार उठे है, और यह नए भी नहीं है!
विवाद कर्ताओं का मानना है, कि टैगोर ने जना गाना मना को ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम की चापलूसी में लिखा और गाया था, जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला था।
विवाद के मुताबिक भारत का भाग्य विधाता जॉर्ज पंचम को बताया गया है।


आइए, जाने हमारे  National anthem (राष्ट्रगान) की पूरी कहानी, और यह भी की क्यूं है यह आज भी एक विवादित विषय!!

National anthem



भारत का राष्ट्रगान - जन गण मन, रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखे एक बंगाली गीत "भरोतो भाग्यो बिधता" के हिंदी अनुवाद का प्रथम छंद है। इस गीत को 24 जनवरी 1950 में भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था। 

26 दिसंबर 1911 को कोलकाता में कांग्रेस का 27वा अधिवेशन शुरू हुआ था। अगले दिन 27 दिसंबर 1911 को The Morning Song Of India के नाम से रविंद्र नाथ टैगोर का लिखा जन गण मन गाया गया था। 
राजा जॉर्ज पंचम की सामूहिक सभा दिल्ली में लगी थी जिसका नाम दिल्ली दरबार रखा गया था उसी दिन भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाया गया था, यह वही दिन था जिस दिन राजा जॉर्ज पंचम को भारत देश का राजा घोषित किया गया था। जानकारों का कहना है कि यह गीत कभी भी राजा जॉर्ज पंचम के स्वागत में नहीं गाया गया था। 


 National anthem (राष्ट्रगान) पर प्रश्न क्यों?


फिर सवाल यह है कि आखिर यह सवाल उठता ही क्यों है कि यह गीत कभी राजा जॉर्ज पंचम के स्वागत में लिखा और गाया गया था !!
ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस के अधिवेशन के अगले दिन यानी 28 दिसंबर 1911 को एक अंग्रेजी अखबार The Englishman में छपा था कि कि कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन की शुरुआत जॉर्ज पंचम के लिए लिखे गए स्वागत गीत से हुई। 
जबकि बंगाली अखबार के मुताबिक अधिवेशन की शुरुआत देशभक्ति गीत से हुई थी और जॉर्ज पंचम के स्वागत में गायक वृंदे गीत गया गया था, और यह दोनों गीत आपस में बिल्कुल अलग थे। जन गण मन को उसकी लोकप्रियता गाए जाने के तुरंत बाद नहीं मिली थी, उसे उसकी लोकप्रियता तब मिली जब सुभाष चंद्र बोस ने इस गीत को थोड़ा बदलकर आजाद हिंद फौज के लिए इस्तेमाल किया। और इसके ठीक 8 साल बाद 24 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने इससे भारत का राष्ट्रगान घोषित कर दिया। 

तो अगर राष्ट्रगान में भारत भाग्य विधाता राजा किंग जॉर्ज को नहीं कहा गया है तो फिर किसे कहा गया है?
जैसा कि हम जानते हैं की जाना गाना माना टैगोर के लिखे गीत का केवल एक छोटा सा भाग है आगे चलकर इस गीत में कुछ इस प्रकार लिखा गया है :
"पतन अभ्युदय बंधुर पंथा
युग युग धावित यात्री
तुमि चिर सारथी, तव रथ चक्रे
दारुण विप्लव मांझे
तब संख ध्वनि बाजे"
अगर आप भारतीय संस्कृति को समझते हैं, तो आपको पता होगा कि चिर सारथी भगवान कृष्ण को कहा गया है। उसके बाद दारुण विप्लव मांछे का अर्थ कुछ इस प्रकार आता है कि बहुत बड़ा, विशाल युद्ध चल रहा है और तब तुम्हारे संग की ध्वनि चारों तरफ गूंज रही है।
अब राजा किंग जॉर्ज शंख तो नहीं बजाएंगे ना!! 
साल 1937 में टैगोर ने इन सवालों के जवाब में कहा था की उन्होंने भारत का भाग्य विधाता ना राजा किंग जॉर्ज को ना और किसी व्यक्ति को कहा है, उन्होंने तो परमात्मा, परमपिता - ईश्वर को भारत का भाग्य विधाता माना है। 

और रही बात टैगोर को नोबल पुरस्कार मिलने की तो नोबल पुरस्कार ब्रिटेन नहीं स्वीडन देती है, 
रविन्द्र नाथ टैगोर को अपनी काव्य संग्रह गीतांजलि के लिए स्वीडन की सरकार ने नोबेल पुरस्कार दिया था। यह तो वही बात हो गई की किसी को हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करने पर Russia ने पुरस्कार दे दिया।
जन गण मन हमारा राष्ट्रगान हैं, और इसका अपमान देश का अपमान है!!

National anthem। राष्ट्रगान National anthem। राष्ट्रगान Reviewed by Democrat-KALAM -THE new AGE of CREAtivity on जून 14, 2020 Rating: 5

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