पंडित नेहरू की प्रासंगिकता

पंडित जवाहर लाल नेहरू, चाचा नेहरू, पंडित जी, नेहरु जी, जो नाम आपको पसंद उस नाम से बुला सकते है इन्हे, मगर आप उन्हे नज़रअंदाज़ नही कर सकते हैं करतेनाम सुनते हुए सबसे पहले मेरे मन मे जो चीज आती है वो है आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री की. भारत मे इनकी छवि कैसी भी रही हो मगर विश्व पटल पर इनकी छवि अहिंसावादी की रही है. लगातार 19 सालो तक शासन करने वाले नेहरू जी एक लोकप्रिय नेता थे. नेहरू जी आजादी की लड़ाई मे गान्धी जी से बहुत ज्यादा प्रभावित थे, नेहरू जी को गांधी की भक्ति करते देखा गया यही कारण था की जब नेहरू और पटेल मे से बापू ने नेहरू को प्रधानमंत्री के लिए चुना तो किसी को आश्चर्य नही हुआ. इसका एक बड़ा कारण यह भी कि सरदार जी थोड़े मुखर प्रवृत्ति के थे, उन्हें कठोर फ़ैसलो के लिए याद किया जाता है, और देश उस समय खुद को विश्व मानचित्र पर अंग्रेज से आजाद होने के लिए बलिदान दे रहा था. 

साफ़ शब्दों मे नेहरू जी के प्रधानमंत्री बनने से देश अलग सोच से आगे बढ़ा. 

इतिहास को पढ़ते वक़्त यह जानना बहुत आवश्यक होता है, की इतिहास के जिस पन्ने को आप पढ़ रहे है, उसके समकालीन में क्या हो रहा है, हम जब इतिहास को पढ़ते है तो आज कि दृष्टि से पढ़ते है! नहीं! अगर इतिहास पढ़ना है तो इतिहास में खुद को जाकर पढ़ना चाहिए, तब एक बेहतर उत्तर प्राप्त होता हमारे सवालों का।
वर्तमान मे नेहरू सरकार एक बार फिर चर्चा मे है, इस बार नेहरू अकेले इस सब का सामना कर रहे हैं. क्युकि कुछ लोग ने ऐसी अवधारण बना रही है जिससे लगे कि सच मे नेहरू अकेले इसके लिए जिम्मेदार जो. जबकि उनकी कुछ नितिया मिल का पत्थर साबित हुई है. मै कुछ मह्त्वपूर्ण बातो से उनके कुछ कार्यो को बताने की कोशिश करता है.......

*भारत की गुटनिरपेक्ष निति*

ये एक ऐसी निति थी जिसने भारत को बिश्व पटल पर अलग ही पहचान दी. जब एक समय सारे देश अमेरिका और रुस के पिछलग्गू बनने और बनाने ने लगे थे, उस समय भारत ने अलग राह अपना कर बहुत सारे देशो को एक राह प्रदान की. जिसका अनुसरण करके बहुत सारे देश गुट मे ना जा कर अब अपनी अलग पहचान बनाने मे लग गये. 

*सुरक्षा परिषद मे स्थायी सदस्यता*

ये किसी से छुपा नही है कि आज सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अपनी मनमानी से बहुत सारी चिजो पर रोक लगा लेते हैं या अपने फ़ायदे के लिए बदल भी देते हैं, अगर उस समय भारत ने स्थायी सदस्यता को स्वीकृति दे दी होती तो आज हमारा रुतवा और अधिक प्रभावशाली होता और समय समय पर हम पर लगे प्रतिबंद ना लगते. साथ ही चीन आज हमे आंखें नही तरेरता. 

*शिक्षा प्रणाली* 

आजादी के समय शिक्षा का बुरा हाल था, शिक्षा के लिए पंडित जी ने अतुल्यनिय काम किया. आज बड़े बड़े विश्वविद्यालय की स्थापना उन्ही की सोच का नतीजा है. आज जिन जगहो पर आजादी के नारे सुनाई डेते है, वही से पढ़ कर के लोग विश्व मे ख्याति प्राप्त कर रहे हैं. मगर आज इसमे भी राजनिति घुस गयी है और शायद किसी दिन इन विश्वविद्यालय मे हमे ताला लगा मिले. 

*नेपाल का भारत में विलय ना करना*

एक समय नेपाल के राजा के द्वारा ये प्रस्ताव नेहरू जी को मिला था कि नेपाल को भारत मे मिला देना चाहिए, जिसे ये कहते हुए मना कर दिया गया कि नेपाल को भारत मे मिलने मे कोई फ़ायदा नही होगा और ना भारत को होगा. आज ये फ़ैसला कही ना कही थोड़ा विचलित करता है क्युकि अब तो नेपाल से भी हमे आंखें दिखाना शुरू कर दिया है. अभी हाल मे ही भारत के कुछ भाग को नेपाल ने अपना बताया और हमे ये समझने मे देर नही लगनी चाहिए कि ये किसके से सह से हो रहा है, शायद नेपाल हमारा होता तो हम चीन पर अधिक अच्छी तरह से नजर रख सकते थे. 

*गरीबी की समस्या*

आज हमे कश्मीर सबसे बड़ा मुद्दा लगता है, तब नेहरू के सामने देश था। लोगों को कश्मीर से कई गुना ज्यादा रोटी चाहिए थी और वह रोटी नेहरू ने देने की कोशिश की और देश आज इस समस्या से जुझ रहा है. जबकि हम लोग सविधान लागु होने के सत्तर साल पुरे कर चुके हैं. इस दिशा मे नेहरू जी ने काम तो बहुत किया, जिसमे मसलन औद्योगिकरन की निति, विदेशी व्यापार, साथ ही पंचायती राज की स्थापना करना. इन सभी से एक आस तो जगी थी कि भारत के गरीब कभी अमीर हो जाएंगे मगर ये कोरी बाते ही साबित हुई. 

इन सारी बातो के बाद निष्कर्ष लगाया जा सकता है कि नेहरू ने बहुत सारी गलतियां की होगी मगर ये भी सच है कि उनकी वजह से ही भारत आज स्थिर है, उनके कैबिनेट के लोगों ने कभी उन्हे पिछे हटने का मौका नही दिया और उस समय मे की गयी कार्यो को अब जनता को बता कर राजनिति करना कोई उचित बात नहीं है क्युकि राजनिति मे तोड़ कर अर्थ का अनर्थ कर दिया जाता है. इसके साथ मेरे विचार तभी जनता के सामने रखे जाये जब मुझे लोग कांग्रेसिया या देशद्रोही ना माना जाये क्युकि कि मै देश के सारे प्रधानमंत्री की दिल से इज्जत करता हूँ साथ ही वर्तमान मे तो मै प्रधानसेवक का अंधभक्त हूँ. 

धन्यवाद 
अंशु सिन्हा
पंडित नेहरू की प्रासंगिकता पंडित नेहरू की प्रासंगिकता Reviewed by Democrat-KALAM -THE new AGE of CREAtivity on जून 08, 2020 Rating: 5

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