आज पर्यावरण दिवस है ।
परंतु पर्यावरण दिवस की आप सभी को बधाई मैं क्या दूं। पर्यावरण दिवस सिर्फ एक दिन 5 जून को अपने साथियों और रिश्तेदार को एक छवी भेज देने से सफल नही हो जाती बल्कि इसके लिए सजग रहना अनिवार्य है। आए दिन पशु पंछियो मे नगण्यता देखी जा रही है । पहले जैसे प्रातःकाल उठने से पहले ही पंछीयो की चहचहाहट हमारे मन को भावविभोर कर देती थी। वहीं अब कौवे की कांय कांय भी सुनाई नही पड़ती।
इसके कई कारण है। मौसम मे भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। नदियो के पानी का जलस्तर कमता जा रहा है। जंगलो की धड़ल्ले से कटाई हो रही है । पोखर तो अब देखने को ही नही मिलता । कुएं सारे भरे जा चुके है। पंछी अब मुश्किल से देखने को मिलते है । पंछियो के कई सारे प्रजाति लुप्त हो गए हैं। और कई सारे प्रजाति लुप्त होने के कगार पर है । मनुष्य आलस्य का शिकार होता जा रहा है । "गाछ लगान, जीबन बाचान " अब जुमले साबित हो रहे हैं। एक बात सोचने की है जिनसे हम जीवित है हम उन्ही को संरक्षित नही कर पा रहे है। सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है । वहीं आम लोगो को भी सजगता और जागरूकता अभियान के जरिये लोगो मे संचेतना का विकास करना होगा ।
मेरी कविता "अपने जीवन को बचाओ" की कुछ पंक्तियाँ जो अभी की मौजूदा हालात को ब्यां करती है।
"मुझे नही काट रहे हो तुम
काट रहे हो अपने जीवन को
मुझे मारकर तुम
बुला रहे हो अपने मरण को।"
पर्यावरण को नुकसान करके हम स्वंय का नुकसान करते है। पहले जैसा दृश्य अब देखने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है । अब प्राकृतिक दृश्य बमुश्किल देखने को मिलते है । उम्मीद है इसे पढ़कर आप लोग पर्यावरण के प्रति अपने विचारो मे बदलाव जरूर करेंगे ।
*कविराज...*
रोता हुआ पर्यावरण दिवस
Reviewed by Democrat-KALAM -THE new AGE of CREAtivity
on
जून 07, 2020
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